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Showing posts from August, 2025

विपत्तियों की राख से उगा कर्मयोगी

🔥 ॐ कार्मिक । आरंभ । 🔥 मैं कौन हूँ? मैं क्यों हूँ? - ख़ुद से पूछें ✍️ आत्मगुरु से जीवन दर्शन ॐ सूत्र वाक्य   कर्मयोग से आत्मा का जागरण। कैसे कर्मयोग आत्मा कि गहराई से जुड़ता हैं, और जीवन कि दिसा बदल देता हैं।  ना कोई मेरा ना कोई तेरा। ये तो अरमानों का है डेरा, माया का है खेल सारा। ये है भ्रम तेरा कि सबकुछ है मेरा।  ये भी पढ़ें कर्मयोग से जीवन दर्शन 👉 https://karmyog-se-jivandarshan.blogspot.com/2025/09/blog-post.html?m=1 एक विचार आज सुबह उठते ही मुझे एक विचार आया। मैं अपने बदले हुए जीवन की गाथा से अपने बंधुओं को परिचित कराऊँ, ताकि मुझे आत्म-संतुष्टि मिले और उन्हें प्रेरणा। यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं है। यह मेरे जीवन चरित्र की गाथा है, जो आप सबके लिए एक प्रेरणा रूपी ब्रह्मास्त्र का काम करेगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आत्म-चिंतन करके आप भी अपनी सोच और अपने विचारों को बदल सकते हैं। इससे आप अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत यह सब तब शुरू हुआ, जब महायोगी ने मेरा ...

धर्मराज का स्वप्न जिसने जिवन बदल दिया

🔥 ॐ कार्मिक । आरंभ । 🔥 मैं कौन हूँ? मैं क्यों हूँ? - ख़ुद से पूछें ✍️ आत्मगुरु से जीवन दर्शन ॐ सूत्र वाक्य     कर्मयोग से आध्यात्मिकता कि राह धर्मराज के स्वप्न से नए अवतार से सत्य कि खोज और वास्तविकता को उजागर  विचार  मुझे आज सुबह उठते ही ऐक विचार आया। कि में मेरे प्यारे बंधुओं के साथ मेरा सपना साझा करे ताकि उसका भी मन थोड़ा हल्का हो जाए, ये भी पढ़ें विपत्तियों कि राख से उगा कर्मयोगी👇 https://karmyog-se-jivandarshan.blogspot.com/2025/08/blog-post_89.html?m=1   परिचय पिछले कुछ दिनों से मेरे मन पर अंधकार के बादलों की छाया मंडरा रही थी। एक ओर मेरे बेटे की पढ़ाई और दूसरी ओर सामाजिक और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों का बोझ मेरे कंधों पर बढ़ गया था। अब मेरी सारी उम्मीदें टूट चुकी थीं। मैं दिन में पसीना बहाता था और रात में कटु अनुभवों ने मेरी नींद को छीन लिया था। मैं मन ही मन सोचता था कि क्या मेरे कर्मों में कोई कमी रह गई थी? क्या मेरा संघर्ष सिर्फ दुख और निराशा के लिए था? मुख्य  भाग तभी एक रात, ज...

अंधकार के बादल और तुलसी कि छाया

🔥 ॐ कार्मिक । आरंभ । 🔥 मैं कौन हूँ? मैं क्यों हूँ? - ख़ुद से पूछें ✍️ आत्मगुरु से जीवन दर्शन ॐ सूत्र वाक्य   यूंही टूटना तेरे आत्मविश्वास का अंधकार के प्रभाव में। अंधकार वो रोशनी है, जो मौका देता हैं तेरे आत्मचिंतन के दीपक को जलाने का    जैसे। ज्योत जलती है अंधकार मैं    परिचय जीवन में कई बार ऐसा मोड़ आता है, जब चारों तरफ़ से सिर्फ़ मुश्किलें ही मुश्किलें नज़र आती हैं। ऐसा लगता है जैसे हर दिशा में अंधकार ही अंधकार है। अचानक आए इन तूफ़ानों ने मेरे जीवन को भी ऐसे ही एक मोड़ पर ला खड़ा किया, जहाँ मुझे लगा कि अब आगे बढ़ना असंभव है। यह कहानी मेरी उसी यात्रा की है, जहाँ मैंने अंधकार में आशा की एक किरण ढूँढ़ी। 📖 यह भी पढ़ें: 👉  धर्मराज के स्वप्न को  https://karmyog-se-jivandarshan.blogspot.com/2025/08/blog-post_18.html?m=1   ज़िम्मेदारियों का नया जन्म जैसे अचानक आसमान में बादल सूर्य को घेर लेते हैं, वैसे ही मेरे जीवन ने एक नया मोड़ लिया। मेरे सर पर अंधकार के बादलो...

ना गुरु ना कलम फेर भी कर्मयोगी की पहचान

🔥 ॐ कार्मिक । आरंभ । 🔥 मैं कौन हूँ? मैं क्यों हूँ? - ख़ुद से पूछें ✍️ आत्मगुरु से जीवन दर्शन ॐ सूत्र वाक्य 🔥 आत्मचिंतन से जीवन दर्शन 🔥 मन और बुद्धि के विद्रोह से जागृत होती है चेतना। जब लोहा लोहे को पीटता है, तब आग उबलती है — वहीं आग की भट्ठी में तपकर शस्त्र का जन्म होता है। गट-गट निंद सोए, घट-घट पीए पानी ख़ुद को तो ज्ञानी समझे, मिठी बोले वाणी अंधे को आईना दिखावे, मूर्ख बजावे ताली सत्य कहे तो जग जले, झूठ को मिले प्रशंसा खाली… यह पंक्तियाँ शोर नहीं करतीं — ये आत्मा की गहराई से निकली मौन पुकार हैं।   परिचय: सोनेरी मिट्टी से माया नगरी तक क्या होता है जब एक 14 साल का बच्चा गरीबी के कारण अपनी पढ़ाई छोड़कर, अपने गाँव की सोनेरी मिट्टी को छोड़, एक माया नगरी की तरफ़ निकल पड़ता है?  यह कहानी सिर्फ़ एक यात्रा नहीं है, बल्कि एक कर्मयोगी के जीवन का सार है। यह कहानी है ...