मैं कौन हूँ? एक आम इंसान, फिर भी खास

🔥 ॐ कार्मिक । आरंभ । 🔥

मैं कौन हूँ? मैं क्यों हूँ? - ख़ुद से पूछें

✍️ आत्मगुरु से जीवन दर्शन

ॐ सूत्र वाक्य


मन मेला तन उजला तन मेला मन उजला इसमें उलझा संसार।

मैं कल्पना हूँ।

मित्र, मुझे सुबह उठते ही एक अनोखा विचार आया कि मैं आज मेरे बंधुओं को एक नई वास्तविकता से परिचित करवाऊँ।

👉 ये भी पढ़ें ना गुरु कलम फेर भी कर्मयोगी कि पहचान

https://karmyog-se-jivandarshan.blogspot.com/2025/08/blog-post_10.html?m=1

एक विरोधाभासी सोच

मैं एक आम इंसान हूँ, फिर भी खास हूँ, लेकिन दुनिया से अलग हूँ। आप सोचते होंगे कि आम और खास, ये भला कैसे हो सकता है?

मेरे प्यारे बंधुओं, जहाँ दुनिया के लोगों की सोच का अंत होता है, वहीं से मेरी सोच की शुरुआत है। तो आइए मित्र, मैं आपको बताता हूँ।

मेरी पहचान और मेरी ज़मीन

मैं एक गरीब किसान का बेटा हूँ। मेरा व्यवसाय उत्तम खेती है और मेरी पढ़ाई 7वीं कक्षा तक हुई है। यह एक दुर्भाग्य है कि विपरीत संयोगों के वश मैं पढ़ाई से वंचित रह गया। अगर पढ़ाई और कौशल दोनों साथ होते तो सोने में सुगंध हो जाती।

लेकिन भूतकाल को वागोलने (बार-बार याद करने) से कोई लाभ नहीं होता, वो सिर्फ हमारे जीवन में बाधाएँ बनते हैं। भविष्य की चिंता किए बिना, वर्तमान में जीना ही असली जीवन और सुख है।

सफलता का मेरा सूत्र

जहाँ हैं, वहाँ श्रेष्ठ करें। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ सफलता नहीं मिलती। एक भंगारी भी करोड़पति बन सकता है। एक सातवीं कक्षा पढ़े व्यक्ति की लिखने की शैली देखिए। मेरे मित्र, मैं अपनी प्रशंसा नहीं कर रहा हूँ, लेकिन एक सत्य की खोज से वास्तविकता की पहचान करा रहा हूँ।

आत्म-चिंतन करें और खुद को पहचानने का प्रयास करें। आत्मा से बढ़कर सत्य और प्रेरणा दुनिया के किसी भी कोने में नहीं मिलने वाली। सब कुछ तेरे भीतर ही है, लेकिन या तो तू खुद से परे है या तो तू रास्ता भटक गया है।

लोग प्रेरणा के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं, मैं उसे प्रकृति में ढूंढता हूँ।

लोग दूसरों की राय लेते हैं, मैं खुद से पूछता हूँ।
लोग किस्मत में सफलता ढूंढते हैं, मैं कड़ी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास में ढूंढता हूँ।

लोग हर कार्य दूसरे की प्रगति को देखकर करते हैं, मैं कार्य के पहलुओं को जाँचकर अपनी क्षमता के अनुसार निर्णय लेता हूँ।
यह सब तब संभव है, जब आप सत्य और ईमानदारी से अपने कर्तव्य निभाते हैं, तभी आप खुद से प्रेरणा ले सकते हैं

मैं अलग क्यों हूँ? 

मैं सिर्फ़ लिखता नहीं। लिखते समय में महसूस करता हूं, कि में आपसे रुबरु बातें कर रहा हूं, क्या मेरे प्यारे बंधुओं आप को पढ़ते समय ऐसा महसूस हो रहा है। 

लोगों के तो सपने भी हकीकत में बदलते हैं, मेरी तो हकीकत ही सपना बनकर रह जाती है। फिर भी, मैं हर क्षेत्र में मेरे कुटुंब और रिश्तेदारों से आगे हूँ, क्योंकि मेरी सच्चाई ही मेरी सफलता की नींव है।

मैं शरीर से तो दुनिया के लोगों जैसा ही हूँ, लेकिन अंदर से अजीब सा हूँ, क्योंकि मैं विचारों का सागर हूँ। प्रेरणा तो मेरे हर कदम पर जन्म लेती है, क्योंकि मेरा गुरु बहुत बलवान है - वो मेरा 'आत्माराम' है।

मैं धार्मिक नहीं, बल्कि कार्मिक हूँ। मैं पुस्तक के बदले खुद को और लोगों के मन को पढ़ता हूँ। मैं शास्त्र की जगह प्रकृति को पढ़ता हूँ। मेरे अरमान बहुत हैं, लेकिन ईमानदारी के हैं। सत्य का प्यासा हूँ, लेकिन छल-कपट का दुश्मन हूँ। मेरा आत्मविश्वास आसमान को छूने का प्रयास कर रहा है। 

मेरा उदेस्य

मित्रो प्रकृति और लोगों को पढ़ कर  विचारों के सागर से सत्य और नए विचार नया दृष्टिकोण विज्ञान और आध्यात्मिक दोनों को साथ लेके में आपको साझा करना चाहता हूं।

 मेरी अपेक्षा 

मैं जीवन यात्रा को समझ चुका हूं में आपके जीवन में बदलाव चाहता हूं बदलाव सिर्फ़ धन का नहीं होता सच्चा बदलाव भीतर से होता है यहीं बदलाव हमारे जीवन कि बड़ी पूंजी है ये कई पीढ़ियों तक चलती हैं, मेरा प्रयास अंतिम सांस तक होगा।

मेरा वचन और आपका साथ

तो बताइए मित्र, मैं एक आम इंसान होकर भी अलग और खास हूँ या नहीं?

मैं आपको एक वचन अवश्य दे सकता हूँ कि मैं जो भी आपके साथ बाटूंगा, उसमें सिर्फ सत्य, ईमानदारी और मौलिकता के अलावा कुछ नहीं होगा। और यह आपको और कहीं मिलना बहुत कठिन है। आप मुझे समझने का प्रयास करेंगे, वही मेरे जीवन की अमूल्य भेंट होगी।

मुझे बताइए, आपको मेरे विचार पसंद आए या नहीं? और आगे किस विषय पर मैं लिखूँ? आपकी आवश्यकता के अनुसार मैं जीवन के हर पहलू पर लिखकर एक सत्य को पेश करूँगा। तो मुझे फॉलो करें और सभी बंधुओं को शेयर करें, ताकि कोई प्रेरणा से वंचित ना रह जाए।
 

🌾 “कर्मयोगी की पहचान, कर्म में नहीं — सत्य में है।” 🌾

— आत्मगुरु।

अतः सत्य के इस यज्ञ में सहभागी बनें।

🙏 अटल घोषणा: मेरे ये मौलिक विचार और सूक्ष्म प्रेरणा यथार्थ का हिस्सा मात्र नहीं हैं। यह ज्ञान की वह पूंजी है, जो आगे चलकर ‘जीवन दर्शन ग्रंथ’ का रूप लेगी। मेरी यात्रा में सहभागी बनें।

एम. एन. पटेल 🔥🧘‍♂️

Comments

Popular posts from this blog

ना गुरु ना कलम फेर भी कर्मयोगी की पहचान

अंधकार के बादल और तुलसी कि छाया